Sunday, February 05, 2017

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ठाकुर SP सिंह परमार द्वारा लिखित कुछ पंक्तियाँ :

तू खुद की खोज में निकल तू किस लिए हताश है
तू चल तेरे वजूद की समय को भी तलाश है समय को भी तलाश है !

जो तुझसे लिपटी बेड़ियाँ समझ न इनको बस्त्र तू
ये बेड़ियाँ पिघाल के बना ले इनको शस्त्र तू बनाले इनको शस्त्र तू
तू खुद की खोज में निकल तू किस लिए हताश है
तू चल तेरे वजूद की समय को भी तलाश है समय को भी तलाश है !

चरित्र जब पवित्र है तो क्यों है ये दशा तेरी
चरित्र जब पवित्र है तो क्यों है ये दशा तेरी
ये पापियों को हक़ नहीं की ले परीक्षा तेरी की ले परीक्षा तेरी
तू खुद की खोज में निकल तू किस लिए हताश है
तू चल तेरे वजूद की समय को भी तलाश है समय को भी तलाश है !

जलाकर भष्म कर उसे जो क्रूरता का जाल है
जलाकर भष्म कर उसे जो क्रूरता का जाल है
तू आरती की लोह नहीं तू क्रोध की मशाल है तू क्रोध की मशाल है
तू खुद की खोज में निकल तू किस लिए हताश है
तू चल तेरे वजूद की समय को भी तलाश है समय को भी तलाश है !

चुनर उड़ाकर ध्वज बना गगन भी कंपकंपाएगा
चुनर उड़ाकर ध्वज बना गगन भी कंपकंपाएगा
अगर तेरी चुनर गिरी तो एक भूकंप आएगा एक भूकपं आएगा
तू खुद की खोज में निकल तू किस लिए हताश है
तू चल तेरे वजूद की समय को भी तलाश है समय को भी तलाश है !

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